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राहु की छाया: भाग्य और विपत्ति का भंवर


ज्योतिष में राहु एक छाया ग्रह है, जो सूर्य और चंद्रमा की परिक्रमा के दौरान उनके साथ संरेखित होता है। यह अतीत और भविष्य के बीच का संबंध है, जो भाग्य, कर्म और जीवन के रहस्यों को नियंत्रित करता है। राहु की स्थिति और उसकी सूर्य और चंद्रमा के साथ बातचीत व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।


राहु और सूर्य: एक जटिल रिश्ता


सूर्य ज्योतिष में शक्ति, अहंकार और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करता है। जब राहु सूर्य के निकट स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के अहंकार को बढ़ाता है और उन्हें स्वार्थी और आत्म-केंद्रित बना सकता है। यह आत्म-विनाश की ओर भी ले जा सकता है, क्योंकि व्यक्ति अपने भ्रम और अति-आत्मविश्वास में खो जाता है।


हालाँकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि राहु का सूर्य से त्रिक (3, 6, 11) में न होना भाग्य और सफलता का संकेत हो सकता है। जब राहु लग्न के 3, 6, 11 या 10वें भाव में होता है, तो यह व्यक्ति को राज्य से सम्मान, धन और भाग्यवृद्धि का लाभ दे सकता है। यह व्यक्ति को जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता है।


जब सूर्य और राहु एक ही घर साझा करते हैं


यदि सूर्य और राहु एक ही घर में स्थित हों, तो इसका व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह व्यक्ति को आंतरिक संघर्ष और आत्म-साबित करने की अत्यधिक इच्छा से ग्रस्त कर सकता है। वे महान महत्वाकांक्षा रख सकते हैं और सफलता पाने के लिए दृढ़ संकल्प रख सकते हैं, लेकिन उन्हें बाधाओं और देरी का सामना करना पड़ सकता है।


इसके अतिरिक्त, यदि सूर्य और राहु लग्न या कुंडली के पहले भाव में स्थित हों, तो यह व्यक्ति के स्वभाव और जीवन पथ पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यह व्यक्ति को बहुत महत्वाकांक्षी, केंद्रित और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ निश्चयी बना सकता है। हालांकि, उन्हें अहंकार और अति-आत्मविश्वास से सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि इससे पतन हो सकता है।


राहु का अशुभ प्रभाव


जब राहु महादशानाथ (वर्तमान महादशा के स्वामी) से त्रिक में होता है, तो यह व्यक्ति की शत्रुता और विपत्तियों को बढ़ा सकता है। यह शत्रुओं की वृद्धि, स्त्री-पुत्रों को कष्ट और धन नाश के योग भी ला सकता है। राहु के चौथे भाव में होने से घर में शोक और चोरी के योग बनते हैं, और व्यक्ति को सांसारिक भोगों की ओर आकर्षित करते हैं।


राहु का अशुभ प्रभाव जेल भय, बंधन, विष भय, क्षय रोग, अतिसार, सर्प भय, नेत्र रोग और सिर में दर्द के रूप में भी प्रकट हो सकता है। यह व्यक्ति को अवैध और गैर-नैतिक गतिविधियों में शामिल होने की ओर भी ले जा सकता है।


उपाय और शमन


राहु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए, निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:


मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें।

शिवलिंग पर जल अर्पित करें।

राहु मंत्र का जाप करें।

दान-पुण्य करें, विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को।

नकारात्मक विचारों और भावनाओं से बचें।

सकारात्मक लोगों और प्रभावों से जुड़ें।

धार्मिक और आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करें


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