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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ और कामना

Sep 29, 2024

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🌈सिद्धकुंजिका स्तोत्र पाठ: समय, विधि और इच्छाओं की पूर्ति


हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की उपासना के लिए सिद्धकुंजिका स्तोत्र एक शक्तिशाली मंत्र है। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है, जिनमें धन, यश, विद्या और स्वास्थ्य भी शामिल हैं। इस निबंध में, हम सिद्धकुंजिका स्तोत्र पाठ के समय, विधि और विभिन्न इच्छाओं को पूरा करने के लिए पाठों की संख्या का पता लगाएंगे।


🌈पाठ का समय


सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ के लिए सबसे आदर्श समय रात्रि 9 बजे है। इस समय को देवी दुर्गा की पूजा के लिए विशेष रूप से अनुकूल माना जाता है, क्योंकि यह "निशीथ काल" होता है, जो आध्यात्मिक साधनाओं के लिए शक्तिशाली होता है। हालांकि, यदि रात्रि 9 बजे पाठ करना संभव नहीं है, तो इसे रात 9 से 11.30 बजे के बीच भी किया जा सकता है।


🌈 पाठ की विधि


सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से पहले, भक्तों को स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। एक शांत और पवित्र स्थान चुनें, जैसे कि मंदिर या पूजा कक्ष।


1. एक लाल आसन पर बैठकर माँ दुर्गा का आह्वान करें।

2. दायीं ओर घी का दीपक और बाईं ओर सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।

3. देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठें।

4. सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ 11, 21, 51 या 108 बार करें।

5. पाठ पूरा करने के बाद, अपनी इच्छाओं को देवी के सामने व्यक्त करें।


🌈विभिन्न इच्छाओं के लिए पाठों की संख्या


सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठों की संख्या इच्छा के प्रकार पर निर्भर करती है:


- विद्या प्राप्ति: पाँच पाठ

- यश-कीर्ति: पाँच पाठ

- धन प्राप्ति: नौ पाठ

- मुकदमे से मुक्ति: सात पाठ

- ऋण मुक्ति: सात पाठ

- घर की सुख-शांति: तीन पाठ

- स्वास्थ्य: तीन पाठ

- शत्रु से रक्षा: 3, 7 या 11 पाठ

- रोजगार: 3, 5, 7 या 11 पाठ

- सर्वबाधा शांति: तीन पाठ


🌈पाठ के दौरान सावधानियाँ


सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करते समय, कुछ सावधानियाँ रखना महत्वपूर्ण है:


- पाठ के दौरान अपने मन को एकाग्र रखें और किसी भी विकर्षण से बचें।

- स्तोत्र का उचित उच्चारण करें।

- पाठ से पहले और बाद में देवी का ध्यान करें।

- पाठ के दौरान मांस, मदिरा या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

- स्तोत्र का पाठ करने के बाद दान-पुण्य करें।



सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ भक्तों को अपनी इच्छाओं को पूरा करने और देवी दुर्गा के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। सही समय पर, सही विधि से और सही संख्या में पाठ करने से, भक्त अपनी आध्यात्मिक और सांसारिक आकांक्षाओं को प्राप्त कर सकते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने के लिए भक्ति, समर्पण और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

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