सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। गणित के प्रायिकता सिद्धांत के अनुसार अमावस्या वर्ष में एक या दो बार ही सोमवार के दिन हो सकती है। परन्तु समय चक्र के अनुसार अमावस्या का सोमवती होना बिल्कुल अनिश्चित है। इस दिन को हरिद्वार कुंभ के दौरान बहुत ही पवित्र माना जाता है, और नागा साधुओं द्वारा शाही स्नान भी किया जाता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार, सोमवती अमावस्या का एक विशेष महत्त्व है। इस दिन की पूजा से जुड़ी कुछ भिन्न-भिन्न मान्यताएँ हैं। प्रथम मान्यता के अनुसार, महिलाएँ तुलसी माता की 108 परिक्रमा करते हुए कोई भी वस्तु या फल दान करने का संकल्प लेती हैं। दूसरी मान्यता के अनुसार, महिलाएँ पीपल के वृक्ष की भँवरी (108 परिक्रमा) करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामनाएँ करती हैं। इसके साथ ही, श्री गौरी-गणेश और सोमवती व्रत कथा का पाठ करते हुए वस्तु या फल दान करने का संकल्प लेती हैं। पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास माना जाता है और इसी कारण से पीपल की पूजा की जाती है।
इस प्रकार, सोमवती अमावस्या का महत्व और उससे जुड़ी मान्यताएँ हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती हैं। यह एक पवित्र दिन है जिसे लोग विशेष धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के रूप में मानते हैं